Smart Contract क्या है? क्रिप्टोकरेंसी में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का क्या उपयोग है
Smart Contract क्रिप्टोकरंसी के अंतर्गत इस्तेमाल की जाने वाली एक महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी होती है, जो Blockchain पर कार्य करती है। इसका इस्तेमाल आम तौर पर एक समझौते के निष्पादन को स्वचालित करने के लिए किए जाते हैं।
तो दोस्तों यह थी स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट की एक बेसिक सी जानकारी, यदि आप इसके बारे में Detail में जानना चाहते है तो आप इस आर्टिकल को आगे पढ़ते रहे क्योकि आज के इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि Smart Contract Kya Hai? यह किस तरह से कार्य करता है, तथा इसका इस्तेमाल किस तरह से किया जाता है?
तो आइये अब बिना समय गवाए विस्तार से जानते है कि स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट क्या है? (What is Smart Contract In Hindi)
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट क्या है? (What is Smart Contract In Hindi)
Smart Contract एक प्रकार का कंप्यूटर प्रोग्राम होता है। इसे प्रोग्रामिंग या कोडिंग के माध्यम से बनाया जाता है, जिसमें कोडिंग या प्रोग्रामिंग की मदद से सभी प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट, समझौते, नियम, शर्त आदि को बनाया जाता है।
जब भी आप किसी व्यक्ति के साथ कोई डील करते हैं, तो दोनों पक्षों के बीच एक समझौता या कॉन्ट्रैक्ट होता है। और यही समझौता आप कंप्यूटर टेक्नोलॉजी Smart Contract के माध्यम से भी कर सकते हैं, इसे डिजिटल कॉन्ट्रैक्ट भी कहा जाता है।
Smart Contract पूरी तरीके से ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर कार्य करता है। इसका इस्तेमाल इसलिए किया जाता है, ताकि किसी भी थर्ड पार्टी को बीच से हटाया जा सके।
उदाहरण के लिए, कोडिंग के माध्यम से Smart Contract टेक्नोलॉजी के द्वारा यदि किसी भी प्रकार की नियम एवं शर्तों को बना लिया जाता है तो उन्हें भविष्य में कभी चेंज नहीं किया जा सकता है। यह Smart Contract के माध्यम से ही कंट्रोल किए जाते हैं।
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कैसे काम करता है ? (How Smart Contract Work In Hindi)
यदि इस टेक्नोलॉजी के इतिहास की बात की जाए तो पहली बार सन 1996 में इसकी शुरुआत की गई थी, Nick Szabo नाम के एक कंप्यूटर साइंटिस्ट तथा क्रिप्टोग्राफर ने इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके अपनी खुद की क्रिप्टोकरंसी बनाई थी, जिसे Bitgold का नाम दिया गया था। हालांकि उस समय यह क्रिप्टोकरंसी ज्यादा समय तक चल नहीं पाई थी, क्योंकि उस समय लोगों के लिए यह काफी नया था।
इसके पश्चात स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सन 2013 में ethereum cryptocurrency के फाउंडर के द्वारा किया गया था। आज के समय ethereum दुनिया की काफी बड़ी क्रिप्टो करेंसी है तथा आज इसकी वैल्यू काफी ज्यादा है।
Smart Contract कांटेक्ट के लिए मुख्य रूप से सॉलिडिटी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है। यह प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जावास्क्रिप्ट से काफी मिलती है, यदि आप जावास्क्रिप्ट को समझते हैं, तो आप इस सॉलिडिटी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को आसानी से समझ सकते हैं, तथा आप भी यह Smart Contract बना सकते हैं।
जब भी हम किसी भी कांटेक्ट को साइन करते हैं, तो हमें एक थर्ड पार्टी की जरूरत पड़ती है। इसे अगर एक उदाहरण के माध्यम से समझा जाए तो यदि आप अपनी कोई प्रॉपर भेजना चाहते हैं, तो इसके लिए सबसे पहले आपको एक डीलर की जरूरत होती है,
इसके बाद डॉक्यूमेंट तैयार करने के लिए आपको एक वकील की जरूरत पड़ती है, तो ऐसे में इस प्रकार से यदि आप कोई भी कॉन्ट्रैक्ट साइन करते हैं, तो अन्य लोग भी शामिल हो जाते हैं। आज के समय ऐसे लोगों पर भरोसा करना काफी ज्यादा मुश्किल होता है क्योंकि यह लोग आपको कभी भी धोखा दे सकते हैं, आपने जो भी कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है, उसके साथ कोई भी छेड़छाड़ की जा सकती है।
इसके अतिरिक्त यदि आप Smart Contract टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके कोई कॉन्ट्रैक्ट साइन करते हैं, तो आपको किसी भी थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं होती है। इसके अलावा इसमें सभी प्रक्रिया काफी तेजी से कंप्लीट हो जाती है, तथा जो भी कॉन्ट्रैक्ट साइन किया जाता है, उसे भविष्य में कभी भी बदला नहीं जा सकता ।
तो यदि आप Smart Contract टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके कोई भी कॉन्ट्रैक्ट साइन करते हैं, तो आपके साथ भविष्य में फ्रॉड होने का चांस बहुत ही कम हो जाता है। इसके अलावा यह टेक्नोलॉजी ब्लॉकचेन पर कार्य करती है, तो ऐसे में इसे हैक करना भी नामुमकिन होता है।
जब भी आप इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से कोई कॉन्ट्रैक्ट साइन करते हैं तो आपकी सारी जानकारी ब्लॉकचेन पर इंस्टॉल हो जाती है। जिसके साथ कोई भी छेड़खानी नहीं की जा सकती । इसके अलावा ब्लॉकचेन के माध्यम से आसानी से पता लगाया जा सकता है, कि किसी भी प्रॉपर्टी का मालिक कौन है।
क्रिप्टो करेंसी में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट का उपयोग (Uses of Smart Contract In Hindi)
जैसा कि आपको पता होगा कि आज के समय क्रिप्टो करेंसी के अंतर्गत भी अधिकांश समय Smart Contract तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अंतर्गत जब भी किसी दो व्यक्तियों के बीच बिटकॉइन या कोई भी क्रिप्टोकरंसी के लेनदेन की प्रक्रिया होती है, तो Smart Contract टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है।
इसमें सबसे पहले बिटकॉइन खरीदने वाला व्यक्ति स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में पैसे ट्रांसफर कर देता है, उसके बाद बिटकॉइन बेचने वाला व्यक्ति स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट में अपने बिटकॉइन ट्रांसफर कर देता है।
यह प्रक्रिया होने के बाद स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के द्वारा बिटकॉइन खरीदने वाले व्यक्ति को बिटकॉइन तथा बिटकॉइन बेचने वाले व्यक्ति को पैसे दे दिए जाते हैं। तो इस तरह से बिटकॉइन या किसी अन्य क्रिप्टो करेंसी के अंतर्गत यह टेक्नोलॉजी कार्य करती है।
इसके अलावा आप जब इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से कोई भी ट्रांजैक्शन करते हैं, तो उसकी प्रक्रिया ब्लॉकचेन के अंतर्गत स्टोर रहती है, तथा लेनदेन के समय जो भी नियम तथा शर्तों को बनाया गया था, वह सभी ब्लॉकचेन पर स्टोर रहती है।
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कैसे बनाए? (How to Create Smart Contract)
यदि आप अपने लिए कोई भी स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनाना चाहते हैं, तो एथेरियम आज के समय सबसे बेस्ट प्लेटफॉर्म है।
जब भी आप एथेरियम के माध्यम से कोई स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट बनाते हैं, तो आपको सॉलिडिटी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी होनी जरूरी है। आप इस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के माध्यम से आसानी से एथेरियम का इस्तेमाल करके अपना एक स्मार्ट कांटेक्ट बना सकते हैं। हालांकि यह टेक्नोलॉजी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होती है, इसमें समय समय पर कुछ बग्स आते रहते हैं, जिनसे सिक्योरिटी का खतरा हो सकता है।
जब आप etherium के माध्यम से कोई स्मार्ट कांटेक्ट बनाते हैं, तो इसके अंतर्गत आपको बाकी क्रिप्टो करेंसी प्लेटफार्म की तुलना में ज्यादा फीस देनी होती है। तो आप Hyperledger Fabric, Nem, Stellar और Cardano जैसे अन्य क्रिप्टोकरेंसी के प्लेटफार्म का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के फायदे (Advantages of Smart Contract)
यदि आप इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको निम्न फायदे होते हैं :-
- Smart Contract के माध्यम से यदि आप कोई भी कॉन्ट्रैक्ट साइन करते हैं तो उसके अंतर्गत थर्ड पार्टी को पूरी तरीके से हटा दिया जाता है। यदि आप इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको किसी भी थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं होती है।
- अगर आपने स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट टेक्नोलॉजी के माध्यम से कोई भी कांटेक्ट साइन किया है, तो आपके द्वारा बनाए गए नियम एवं शर्तों को कभी भी बदला नहीं जा सकता है।
- इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से सारी प्रक्रिया काफी जल्दी हो जाती है।
- Smart Contract के अंतर्गत आपके साथ कोई भी फ्रॉड होने का चांस नहीं होता । यदि आप किसी भी अन्य कंट्री के व्यक्ति के साथ भी अगर कोई कांटेक्ट करते हैं, तब भी वह व्यक्ति आपके साथ कोई फ्रॉड नहीं कर सकता ।
स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के नुकसान (Disadvantages of Smart Contract)
दोस्तों स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट टेक्नोलॉजी के अनेक फायदे होते हैं लेकिन इसके साथ-साथ इस टेक्नोलॉजी के कुछ नुकसान भी होते हैं, जिनके बारे में आपको नीचे जानकारी दी गई है :-
- इस टेक्नोलॉजी के अंतर्गत आपको समय-समय पर कई Bug देखने को मिल जाते हैं, हालांकि बड़ी से बड़ी इंटरनेट कंपनी के अंतर्गत यह Bug देखने को मिलते हैं, लेकिन इनसे आप की सुरक्षा को खतरा हो सकता है ।
- यदि आप इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके कोई contract साइन कर लेते हैं, तथा उसमें आप से कोई गलती हो जाती है, तो आप भविष्य में उसे कभी भी ठीक नहीं कर सकते हैं।
Read More -:
- Virtual Currency क्या है? – What is Virtual Currency In Hindi
- Digital Currency क्या है? – What is Digital Currency In Hindi
- CBDC क्या है? – What is Central Bank Digital Currency In Hindi
- Cryptocurrency : आसान शब्दों में जाने क्रिप्टोकरेंसी क्या है और कैसे काम करता है?
- Blockchain क्या है? – What is Blockchain Technology In Hindi
- Bitcoin क्या है? – What is Bitcoin In Hindi [पूरी जानकारी]
- बिटकॉइन माइनिंग क्या है? – What is Bitcoin Mining In Hindi
Conclusion
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में में हमने Smart Contract के बारे में बात की और जाना कि स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट क्या है ? (What is Smart Contract In Hindi) यह किस तरह से कार्य करता है, तथा इसका इस्तेमाल किस तरह से किया जाता है
आशा करता हूँ कि आपको Smart Contract Kya Hai? के बारे में सारी जानकारी मिल चुकी होगी।
यदि आपको अभी भी What is Smart Contract In Hindi से संबंधित कोई भी अब भी प्रश्न है तो वह आप कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं और यदि आपको ये आर्टिकल पढ़ कर अच्छा लगा हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ जो कि क्रिप्टोकरंसी technology में इंटरेस्ट रखते हैं उन्हें जरूर शेयर करें।
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